बाराबंकी: ''विश्व एड्स दिवस'' के अवसर पर एक क्रिक्रेट प्रतियोगिता, जागरूकता अभियान का आयोजन के0डी0 सिंह बाबू स्टेडियम में किया गया। क्रिक्रेट मैच का उदघाटन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 रमेश चन्द्र ने सारे खिलाडियों के परिचय उपरान्त टास उझाल कर किया। टास में फ्रेन्डस क्लब के कप्तान श्री रोहन कपाडिया द्वारा बैटिग करने का व यूथ क्लब के कप्तान श्री सत्यम पाण्डेय द्वारा फील्डिग करने का निर्णय लिया गया। मैच हार जीत का नही बल्कि सदभावना का था इसलिये मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 रमेश चन्द्र, जिला क्रीडा अधिकारी श्री राजेश कुमार सोनकर, जिला क्षय रोग अधिकारी डा0 अशोक कुमार वर्मा द्वारा दोनो टीमो के कप्तानो को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 रमेश चन्द्र ने बताया कि एड्स पीडित व्यक्तियों के साथ भेद-भाव न करके उनके साथ मित्रता का व्यवहार करना चाहिए। सरकारी चिकित्सालयों में जाॅच एवं उपचार निःशुल्क होता है तथा अन्य जटिलताओं का भी उपचार साथ में होता है। संगोष्ठी में एड्स से बचाव के लिये छात्र, छात्राओं का आहावन किया तथा अवगत कराया कि एड्स जाॅच की सुविधा ब्लाक स्तर तक उपलब्ध है। जनपद में किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक भी स्थापित है। जिनका लाभ युवा वर्ग को उठाना चाहिये।
जागरूकता अभियान का आयोजन
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 रमेश चन्द्र ने बताया कि एड्स दिवस की पहली बार कल्पना 1987 में अगस्त के महीने में थाॅमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा की गई थी। थाॅमस नेटटर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ. जिनेवा स्विटजरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिये सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होने एड्स दिवस का अपना विचार डा0 जाॅननाथन मन्न के साथ साझा किया जिन्होने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 में 01 दिसम्बर को ''विश्व एड्स दिवस'' के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।
फाइलेरिया निरीक्षक, श्री के0के0 गुप्ता ने बताया कि पूरे विश्व भर में लोग आज के दिन लाल रीबन पहनकर एड्स से पीडित व्यक्तियों के प्रति अपनी भावनात्मकता व्यक्त करते है। ऐसा लोगों में इस मुददे के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है। इसके साथ ही इस रोग से लड रहे लोगों के लिये सहायता राशि जुटाने के लिये भी लोग इस लाल रीबन को बेचते है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा0 अशोक कुमार वर्मा ने बाताया कि एड्स, इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम एवं एचआईवी, हयुमन इम्यूनो वायरस की वजह से होता है जो मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है। इस रोग की पहली बार 1981 में मान्यता मिली। ये एड्स के नाम से पहली बार 27 जुलाई 1982 को जाना गया।